रुद्र, एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मा था। उसके माता-पिता ने उसे अच्छी शिक्षा दी और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उसका सपना था एक सफल करियर बनाने का, और इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने खूब मेहनत की। जब उसे अपनी पहली नौकरी मिली, तो ऐसा लगा जैसे उसने अपनी मंजिल पा ली है। लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि वह नौकरी सिर्फ पैसे कमाने का एक जरिया बनकर रह गई थी। उसमें कोई खुशी या संतोष नहीं था। काम के दबाव और दफ्तर की राजनीति ने उसकी जिंदगी को बोझिल बना दिया था। रुद्र के जीवन की इस यात्रा की शुरुआत असंतोष और बेचैनी से हुई थी। उसने बाहरी चीजों में खुशी खोजने की कोशिश की - जैसे पैसे, शोहरत, और बाहरी सफलता। लेकिन इन सभी चीजों ने उसे अंदर से खाली ही रखा। उसके व्यक्तिगत संघर्षों, नौकरी की कठिनाइयों, और रिश्तों की असफलताओं ने उसे भीतर से कमजोर कर दिया था। उस समय उसे लगा कि शायद उसकी सारी उम्मीदें और सपने टूट चुके हैं। यही वह समय था जब उसने अपने भीतर की शांति की तलाश शुरू की।